सूरत से उड़ीसा के लिए सायकल से निकल पड़े मजदूर


मुलताई पहुंचने पर समाजसेवियों ने उपलब्ध कराया भोजन


मुलताई। लॉकडाउन के चलते आवागमन के सभी साधन बंद होने पर दूसरे प्रांतो में मजदूरी पर गए मजदूरों को काम धंधा बंद होने पर दो वक्त के भोजन के लाले पढऩे लगे तो उन्होने हर हाल में अपने गांव पहुंचने के लिए ठान ली और निकल पड़े। कई मजदूर पैदल ही चल पड़े। इसी कड़ी में गुरूवार रात्री उड़ीसा प्रांत के गंजाम जिले के एक दर्जन से अधिक मजदूर जो कि गुजरात के सूरत शहर में कई वर्षों से रहकर कपड़ा मीलों में काम कर रहे थे। कोरोना संक्रमण महामारी के चलते सभी काम धंधे लॉकडाउन के चलते बंद हो जाने पर मजदूरों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया था। पहले 21 दिन के लॉकडाउन को मजदूरों ने जैसे तैसे निकाला। जबकि 14 अपै्रल को दोबारा प्रधानमंत्री द्वारा 19 दिन का लॉकडाउन बढ़ाते हुए 3 मई तक किये जाने की घोषणा की थी। मजदूरों का दिल बैठ गया और उन्होने सूरत से उड़ीसा तक लगभग 2400 किलो मीटर का सफर सायकल से पूरा करने की ठान ली और निकल पड़े। गुरूवार को रात 9 बजे लगभग फोरलेन पर ग्राम भिलाई के पास स्थित रिलायंस पेट्रोल पंप पर आधा दर्जन से अधिक युवक सायकल पर अपना सामान बांधे सफर करते नजर आए। जिसकी जानकारी लगते ही मुलताई के समाजसेवियों द्वारा उनके लिए भोजन की व्यवस्था की गई। सायकल से सूरत से उड़ीसा तक के सफर में निकले शंकर बिसोये, बिस्टन बिसोये, सिमांचल आलोक, श्रीनाथ गौर, सुनील गौर ने बताया कि सूरत में कपड़ा मील में काम करते थे। लॉकडाउन के दौरान मील मालिक ने उन्हे अपने हाल पर छोड़ दिया, जिसके चलते उनके सामने सिवाए घर जाने के दूसरा कोई चारा नजर नहीं आया। स्थानीय प्रशासन द्वारा भी उनके लिए कोई मदद नहीं दी, तो उन्होने सायकल से ही अपने घर जाने की ठान ली और वे सायकल से ही निकल पड़े।


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